राउरकेला, 12/09/20(SANDHAN NEWS) : राज्य सरकार की ओर से ओडिशा विश्वविद्यालय अधिनियम-1989 का संशोधन किया गया है। इसके जरिये विश्वविद्यालय की प्रबंधन समिति में अधिकारियों और राजनेताओं को शामिल करने से स्वायत्त शासन पर आंच आएगी एवं राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ेगा। भाजपा की ओर से इसका विरोध किया गया तथा इस पर पुनर्विचार की मांग की गई। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में भाजपा नेता निहार राय, जिला अध्यक्ष लतिका पटनायक, जगबंधु बेहरा ने बताया कि सरकार की ओर से अधिनियम में संशोधन किया गया है जो उचित नहीं है। ऐसा होने से विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता, स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। प्राध्यापक नियुक्ति में ओडिशा लोक सेवा आयोग के जरिए की जाएगी, जो सरकार के अधीनस्थ संस्था है। प्रबंधन में 22 सदस्यीय सिंडीकेट होगा तथा इसमें राज्य सरकार की ओर से नौ सदस्य दिए जाएंगे। कुलपति का चयन तीन सदस्यीय समिति के जरिए किया जाएगा। जिसमें दो सदस्य ओडिशा सरकार के द्वारा मनोनीत होंगे। भाजपा की ओर से इसे सरकार की सोची समझी साजिश बताया। इसके जरिये विश्वविद्यालयों में बीजद का हस्तक्षेप बढ़ाने में सहायता होगी। अपने पसंद के लोगों को इसमें मौका मिलेगा। विद्यार्थियों के ज्ञान व प्रतिभा के विकास में इसके बाधक होने की बात भाजपा की ओर से कही गई है। इस पर किसी तरह की चर्चा न कर सरकार की ओर से एकतरफा लागू किए जाने की भाजपा की ओर से निदा की गई है। इस पर पुनर्विचार नहीं होने पर आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करने की चेतावनी भाजपा की ओर से दी गई है।
भाजपा ने किया विवि अधिनियम में संशोधन का विरोध
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September 13, 2020 |