राउरकेला : आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में अंधविश्वास, अशिक्षा के चलते डायन के संदेह में उत्पीड़न, हत्या समेत अन्य मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसे दूर करने के लिए पुलिस एवं प्रशासन की ओर से जागरूकता अभियान चलाये जाने के बावजूद यह थमने का नाम नहीं ले रहा है। ढाई साल के अंदर डायन के संदेह में उत्पीड़न के 30 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए हैं।
सुंदरगढ़ जिले के कोइड़ा ब्लाक के बड़इंदरपुर गांव के कंदासाही में डोबरा मुंडा ने बेटी की मौत के लिए भाभी पर टोना टोटका का संदेह था। 24 जनवरी 2019 को भाभी मंगरी मुंडा के साथ उसकी 10 वर्षीय बेटी मार मुंडा, 9 वर्षीय बेटे चामरा मुंडा, एक साल की बेटी राइबरी मुंडा की सब्बल से पीट कर हत्या कर दी थी। इस मामले में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 9 दिसंबर 2019 को बणई अनुमंडल के चांदीपोष थाना क्षेत्र में प्रजा कोर्ट लगाकर मांगी केरकेटा एवं उसकी पांच साल की बेटी को पीट-पीट कर मार डाला गया था एवं लाश को बोरे में भरकर नदी में फेंक दिया गया। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 5 दिसंबर 2019 को सुंदरगढ जिले के सुबलया में प्रदीप दंडेसेना की बेटी वर्षा एवं बेटे अविनाश की सर्प दंश से मौत हो गयी थी। मां जूली इसके लिए प्रेमा को जिम्मेदार मान रही थी। डायन का संदेह होने के कारण उसकी कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी ई। 4 अगस्त 2020 को बड़गांव थाना अंतर्गत कुलगां में तांत्रिक के संदेह में वृद्ध जाकरियास लकड़ा की गांव के विजय सोरेंग ने कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी थी। कुछ दिन पहले गांव के प्रफुल्ल भेंगरा के बेटे की बीमारी से मौत हुई थी एवं इसके लिए वह जाकरिया को जिम्मेदार मान रहा था। सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला पुलिस जिले में 2017 में नौ लोगों की हत्या हुई है वहीं सुंदरगढ़ पुलिस जिले में दो की जान डायन के संदेह में चली गयी। उत्पीड़न के आठ मामले दर्ज कर 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2018 में नौ हत्या व उत्पीड़न के मामले में 22 लोग गिरफ्तार किए गए। 2020 में सात मामले दर्ज हुए तथा चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।