मंदिरों के कपाट बंद, पुजारियों की रोटी पर संकट

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राउरकेला : पुजारियों का भरण-पोषण मंदिर आने वाले भक्तों के दान दक्षिणा एवं प्रसाद से ही चलता है। कोरोना संक्रमण काल में मंदिरों में केवल पुजारियों को ही पूजा-अर्चना की अनुमति है। कोरोना संक्रमण फैलने को लेकर मंदिरों के कपाट खोलने की मनाही है। मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना केवल पुजारियों को ही करनी है। घरों में भी धार्मिक अनुष्ठान में भीड़ के मद्देनजर रोक लगाई गई है। ऐसे में शहर व आसपास के क्षेत्र के तीन हजार से अधिक पुजारियों की रोजी-रोटी छिनने के साथ उनके समक्ष परिवार का भरण-पोषण करने का संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है।

राउरकेला शहर में हनुमान वाटिका, वेदव्यास, वैष्णो देवी मंदिर, दुर्गा मंदिर बसंती कालोनी, सेक्टर-2 जगन्नाथ मंदिर, तारिणीमंदिर सिविल टाउनशिप, कोयलनगर जगन्नाथ मंदिर, कोयलनगर शिव मंदिर, गौरीशंकर मंदिर पुराना स्टेशन, संकट मोचन मंदिर रेलवे स्टेशन, त्रिनाथ मंदिर, पंचदेव मंदिर ट्रैफिक गेट, पंच मंदिर उदितनगर, उदितनगर जगन्नथ मंदिर, छेंड कालोनी शिव, सेक्टर-14 लक्ष्मीनारायण मंदिर, तारा तारिणी मंदिर, देवगांव धवलेश्वर महादेव मंदिर, प्लांट साइट शिव मंदिर समेत दर्जनों ऐसे मंदिर हैं जहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते थे एवं पूजा अर्चना करते थे। भक्तों की आस्था के चलते उनके द्वारा दान दक्षिणा की जाती थी। हर दिन तीन से पांच सौ रुपये तक का चढ़ावा आने से पुजारियों की आजीविका चलती थी अब यह बंद हो गया है। इतना ही नहीं शहर में घर-घर जाकर पुजारी देवी देवताओं की पूजा करते थे पर कोरोना संक्रमण के चलते इसकी भी मनाही है। कई बड़े मंदिरों के पुजारियों के लिए ट्रस्टी व कमेटी के द्वारा पुजारियों के लिए पांच से सात हजार रुपये मासिक वेतन देते थे। तीन महीने से मंदिर के कपाट बंद होने के कारण गुप्त दान की राशि भी नहीं आ रही है। ऐसे में कमेटी के सदस्य अपने कोष से ही वेतन दे रहे हैं अब कोष की राशि भी खाली होने लगी है।

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